भगत के व्यक्तित्व और उनकी वेशभूषा का अपने शब्दों में चित्र प्रस्तुत कीजिए।
साठ वर्षीय बालगोबिन भगत एक गृहस्थ थे लेकिन उनमें साधु संन्यासियों के गुण भी थे। भगत एकदम गोरे-चिट्टे मँझोले कद के व्यक्ति थे, जिनके बाल पके हुए थे। उनका चेहरा हमेशा सफेद बालों से जगमगाता रहता था, किंतु संन्यासियों की तरह जटा-जूट बाल नहीं रखते थे। गले में तुलसी के जड़ की माला पहनते थे, सिर पर कबीर पंथियों की तरह टोपी पहनते थे। शरीर पर कपड़े के नाम पर बस लँगोटी हुआ करती थी। सर्दियों के दिनों में काली कमली ओढ़े रहते थे। माथे पर रामानंदी तिलक लगा रहता था। उनका व्यक्तित्व बड़ा ही सीधा सादा था। वे हमेशा अपनी भक्ति और अपनी गृहस्थी में लीन रहते थे। उनका जीवन आदर्श साधुता से परिपूर्ण था।